गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015

रावण दहन का मतलब

रावण दहन का मतलब
22/10/2015, नई दिल्ली। आज विजयादशमी का पर्व पूरे उल्लास से मनाया जा रहा है। आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें। बचपन से सुनते आ रहें है कि आज के दिन ही भगवान राम ने राक्षसराज रावण को पराजित कर देवी सीता को मुक्त कराया था और यह पर्व उसी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है और आज के दिन प्रतिकात्मक रूप से हम रावण के पुतले का दहन करते है। लेकिन अब ये सिर्फ प्रतिकात्मक ही रह गया है और ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि आज हम अपने अंदर के रावण का दहन करना बंद कर दिया है।

बुधवार, 21 अक्टूबर 2015

दाल में उबाल

दाल में उबाल
21/102015, नई दिल्ली। आजकल इंटरनेट पर एक चुटकुला प्रचलन में है कि 1 किलो अरहर की दाल खरीदने पर पैन कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा। इस तरह के मजाक इसलिए किये जा रहें है क्योंकि देश में दाल की कीमत आसमान छू रही है। यह अब तक के अधिकतम स्तर पर है। दाल की कीमत इतनी बढ़ गयी है कि देश की अधिकांश आबादी की थाली से ये गायब हो चुकी है। ऐसा नही है कि कीमतें रातों-रात बढ़ी है, बल्कि इसने तकरीबन 6 महीने का समय लिया है। मार्च 2015 में अरहर दाल की कीमत तकरीबन 110 रूपये प्रति किलो थी पर अब ये 200 रूपये के पार पहुँच चुकी है। इसकी वजह दाल की बढ़ती कीमतों को थामने के लिए सरकारों द्वारा समयोचित कार्यवाही नही करना सबसे बड़ा कारण नजर आता है।

मंगलवार, 20 अक्टूबर 2015

साहित्यकारों का सम्मान

साहित्यकारों का सम्मान
20/10/2015, नई दिल्ली। देश में आजकल साहित्यकारों द्वारा सम्मान लौटाने का चलन चल पड़ा है। अबतक 28 साहित्यकारों ने सम्मान लौटाया है। उन्हे लगता है कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है और देश का सामाजिक ताना-बाना खतरे में है। ऐसा उन्हे इसलिए लगता है क्योंकि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है। हाल के दिनों में महाराष्ट्र और कर्नाटक में साहित्यकारों पर हमले हुए और उत्तर प्रदेश के दादरी में एक व्यक्ति की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। देश के उन साहित्यकारों को लगता है कि केंद्र की सरकार इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार है।
देश के साहित्यकारों को सम्मानित करने का काम वर्ष 1955 से साहित्य अकादमी करती रही है। साहित्य अकादमी की स्थापना 12 मार्च 1954 को तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा साहित्य और भाषा के विकास के उद्देश्य से की गई थी। 24 भाषाओं में 24 पुरस्कार हर साल साहित्य अकादमी द्वारा देश भर के साहित्यकारों को दिया जाता है। पुरस्कार देने के लिए अकादमी के अध्यक्ष द्वारा हर भाषा के लिए तीन सदस्यों की एक समिति गठित की जाती है जो इस बात का फैसला करती है कि किसे सम्मान दिया जाना चाहिए। 1955 से अब तक एक हजार से अधिक साहित्यकारों को ये सम्मान अकादमी द्वारा दिया जा चुका है, लेकिन लौटाया सिर्फ 28 साहित्यकारों ने है।

मंगलवार, 6 अक्टूबर 2015

बिहार चुनाव और गौवंश का महत्व

बिहार चुनाव और गौवंश का महत्व
06/10/2015, नई दिल्ली। बिहार चुनाव के महासमर में लालू यादव के द्वारा दिया गया एक बयान महागठबंधन के लिए मुसीबत का सबब बनते जा रहा है। विपक्षी एनडीए ने इस बयान को लपकने में देर नही की और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रातों-रात रणनीति बदलते हुए लालू यादव पर हमला बोलने में भी देर नही की। उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के बिसहाड़ा गांव में एक व्यक्ति की भीड़ द्वारा पीटकर हत्या किये जाने पर रविवार को प्रतिक्रिया देते हुए राजद अध्यक्ष ने कहा कि हिंदू गौमांस खाते हैं और जो भारतीय विदेश में रहते हैं वो भी गौमांस खाते है। रोजाना मांस खाने वाले के लिए गौमांस और बकरे के मांस में कोई फर्क नही होता है। सभ्य लोग कभी मांस नही खाते। इस बयान के आते ही बीजेपी की तरफ से प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई और इस मुद्दे को हर मंच और सभा मे उठाया जा रहा है। इस बयान पर महागठबंधन की तरफ से कोई आधिकारिक बयान अब तक सामने नही आया है। गलती का एहसास होने पर लालू यादव ने झल्लाते हुए कहा कि शैतान ने ये सब उनके मुँह से निकलवाया है।

शनिवार, 3 अक्टूबर 2015

बिहार चुनाव – हार-जीत के मतलब

बिहार चुनाव – हार-जीत के मतलब 
03/10/2015, नई दिल्ली। जैसे-जैसे बिहार विधानसभा के मतदान की तारीख नजदीक आ रही है सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है। इस जंग में सभी दल और सभी स्तर के नेता शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में बिहार भाजपा के सभी नेता अपने गठबंधन के सहयोगियों के साथ राजद प्रमुख लालू यादव, महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार के अलावा अन्य विपक्षी नेताओं का सामना करने में कोई कोर-कसर नही छोड़ रहे हैं। लग रहा है जैसे बिहार विधानसभा चुनाव में समुचा बिहार राज्य जंग का मैदान बन गया है और कहावत के मुताबिक सबकुछ जायज है इस जंग के मैदान में।
           

शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2015

सफाई के मायने

­­­­­­सफाई के मायने
02/10/2015, नई दिल्ली। आज देश के दो महापुरुषों का जन्मदिवस है। आधुनिक भारत के वर्तमान स्वरूप का निर्माण करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। अहिंसा के पुजारी गांधी जी और जय जवान-जय किसान के प्रणेता पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जयंती पर शत्-शत् नमन। 2014 में केंद्र में नई सरकार आने के बाद महात्मा गांधी के जयंती को स्वच्छता से जोड़ कर देखा जाने लगा है। सरकार ने स्वच्छता के लिए अभियान चलाया है और भारत को स्वच्छ और निर्मल बनाने की योजना बनाई है। लेकिन केवल सरकारी योजनाओं से क्या भारत स्वच्छ हो पायेगा? जवाब नही में है। भारत के अधिकांश नागरिकों का सफाई के प्रति सरोकार बहुत कम है या नही के बराबर है। खुले में शौच करना, कूड़ा इधर-उधर फेंकना या बिखेरना, यत्र-तत्र थूकना और मलबों का सही तरीके से निपटारा नही करना जैसे अनेक कारण है जिसके वजह से भारत में सर्वत्र गंदगी देखने को मिलती है। इस गंदगी की वजह से अनेकों समस्या या बीमारियां पैदा होती है।

बुधवार, 30 सितंबर 2015

मोदी के विदेश यात्रा के फायदे

मोदी के विदेश यात्रा के फायदे
29/09/2015, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अमेरिका की दूसरी बार यात्रा खत्म कर वापस देश लौट चुके हैं। प्रधानमंत्री अपनी विदेश यात्रा के कारण हमेशा विपक्ष के निशाने पर रहते हैं। विपक्ष का मानना है कि देश की आंतरिक समस्याओं को नजरअंदाज कर वो विदेश यात्रा पर रहते है। अब तक प्रधानमंत्री ने कुल 28 विदेश यात्रायें की है जिसमें अमेरिका और नेपाल दो बार गयें है। अपने पहले साल में मोदी ने कुल 18 विदेश यात्रायें की जिसमें 5 पड़ोसी देशों की यात्रा शामिल है। इन 18 में से 16 यात्राओं का खर्च करीब 37.22 करोड़ रूपये का बताया गया है। अपने दूसरे साल के चार महीनो में वो 10 देशों की यात्रा कर चुके हैं। सवाल यह उठता है कि लगातार एक के बाद एक हो रहे विदेशी दौरों से देश को कितना लाभ पहुँचा है या पहुँचने वाला है?