मीडिया की बदलती भूमिका
23/10/2015, नई दिल्ली। अभी दो तीन दिन पहले एक
विडियो इंटरनेट पर चलन में था जिसमें भाजपा अध्यक्ष एक निजी चैनल के पत्रकार को लगभग
डांट रहे थे। कल एनडीए सरकार के एक मंत्री ने एक बयान दिया और जब मीडिया उनके पीछे
पड़ गया तो उन्हें सफाई पेश करनी पड़ी। आज देश में हर दिन एक घटना होती है और मीडिया
बाकी खबरों को छोड़कर सिर्फ और सिर्फ उसी घटना के पीछे पड़ जाता है। हालिया उदाहरण
उत्तर प्रदेश के दादरी की घटना का है जिसने करीब दस दिनों से ज्यादा सुर्खियां
बटोरी। ऐसी ही एक घटना शीना बोरा हत्याकांड की थी जिसमें मीडिया ट्रायल के आरोप
लगे। सवाल ये उठता है कि क्या मीडिया अतिरंजना कर रहा है?