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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

भ्रष्टाचार की हद

भ्रष्टाचार की हद
11 दिसम्बर 2015, नई दिल्ली। देश में भ्रष्टाचार कम होने का नाम नही ले रही है। मंगलवार 08 दिसंबर को दिल्ली सरकार के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मुख्य सचिव को उनके निजी सहायक के साथ सीबीआई ने 2.2 लाख रूपये घूस लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। अक्टूबर महीने में सीबीआई ने दिल्ली सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री के खिलाफ घूसखोरी का मामला दर्ज किया था। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को दिल्ली की एक निचली अदालत ने हेराल्ड हाउस केस के मामले में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने को कहा है क्योंकि उनपर कांग्रेस पार्टी के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड की संपति को एक कंपनी को बेचने का आरोप है। केरल के मुख्यमंत्री पर घूसलेने और व्याभिचार में लिप्त होने की जांच न्यायिक आयोग कर रहा है। कल एक अखबार के मुताबिक धान की खरीद में यूपीए-2 के शासनकाल में बड़ा घोटाला हुआ है जो तकरीबन 40 हजार करोड़ का है। मैं कांग्रेस नीत् यूपीए के शासन काल में हुए घोटालों पर नही जा रहा हूँ, लेकिन सवाल ये उठता है कि भ्रष्टाचार का सिलसिला कब थमेगा?

बुधवार, 18 नवंबर 2015

देश में स्वच्छता

देश में स्वच्छता
                           (टाइम्स ऑफ इंडिया से साभार)
18 नवंबर 2015, नई दिल्ली। आज सुबह उदयीमान सूर्य को अर्ध्य देने के साथ महापर्व छठ संपन्न हुआ। सुबह अखबार के पहले पन्ने पर छठ पूजा के एक व्रती की तस्वीर ने विचलित कर दिया। उस तस्वीर में एक व्रती यमुना नदी के झागदार काले जल में स्नान कर रही है। यह उस महिला की इस महापर्व में आस्था है कि वो उस जल में भी डूबकी लगा रही है जिसमें शायद जानवर भी स्नान नही करते। यह पर्व शुचिता का है, स्वच्छता का है और पर्यावरण संतुलन बनाये रखने का है लेकिन इस तस्वीर ने मुझे सोंचने पर मजबूर कर दिया कि हम किस तरह का व्रत कर रहे है?

मंगलवार, 22 सितंबर 2015

डेंगू का डंक

डेंगू का डंक

22/09/2015, नयी दिल्ली। कल साकेत स्थित एक निजी अस्पताल में जाने का मौका मिला। पहले भी कई बार उस अस्पताल में मैं अपने सगे-संबंधियों के इलाज के सिलसिले में वहां जाता रहा हूँ। लेकिन कल  वहां के बदले हुए हालत ने मुझे चौका दिया। निजी अस्पताल होने के नाते वहां एक बड़ा वेटिंग हॉल हुआ करता था जिसमें आमतौर पर मरीज और तीमारदार इंतजार किया करते थे। उस हॉल को घेर कर वार्ड बना दिया गया है। पूछने पर पता चला कि उस नये लेकिन अस्थायी वार्ड में भर्ती सारे मरीज डेंगू के है। देश की राजधानी में डेंगू से मरने वालों की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है। सरकारी आंकड़ो में अब तक 17 मौत दर्ज है लेकिन राजधानी दिल्ली में हीं ये संख्या 34 के करीब है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद और नोएडा में 10 और 11 मौत की खबर है। सिर्फ पिछले हफ्ते दिल्ली में 1919 नये मरीज सामने आये है जबकि इस सीजन में ये संख्या 3791 तक पहूँच गयी है। पूरी दुनिया में डेंगू को कहीं भी जानलेवा बीमारी नही माना जाता और इसका इलाज बिल्कुल संभव है। सवाल ये उठता है कि आखिर दिल्ली में ये इतना भयावह और जानलेवा कैसे बन गया। सितम्बर 2006 में पहली बार दिल्ली में सामने आये इस बुखार से सिर्फ 886 मरीज प्रभावित हुए थे। तब से साल दर साल ये बुखार दिल्ली को अपने चपेट में लेता आ रहा है। हर साल होने वाले इतने सारे मौत के बावजूद भी इस पर नियंत्रण के अब तक के उपाय नाकाफी साबित हो रहे है। सवाल ये उठता है कि नगर-निगम, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार सारी जानकारी के बावजूद इसके नियंत्रण के उपाय क्यों नही कर पाये? बारिश के मौसम शुरू होने के पूर्व किसी तरह की तैयारी क्यों नही की गई? वर्तमान केंद्र सरकार और दिल्ली की सरकार दोनों को जनता ने भारी बहुमत देकर भरोसा जताया कि शायद अब उनकी परिस्थितियां बदलेगी लेकिन जनता के हाथ सिर्फ निराशा ही आयी है। दिल्ली की सरकार अपनी हर असफलता के लिये केंद्र सरकार को दोषी ठहराती है। दिल्ली के लोगों का कल्याण कैसे हो इसके लिये काम करने के बजाय अपना महिमामंडन करना दिल्ली की सरकार की आदत बन गई है। नगर निगमों को फंड मुहैया नही कराने के नित् नये बहाने लाकर दिल्ली सरकार केंद्र पर निशाना साधती रहती है क्योंकि केंद्र और निगमों में एक ही पार्टी की सरकार है। अलग तरह की राजनीति करने का दंभ भरने वाली पार्टी की राय शायद सरकार में आने के बाद ये हो गई है कि आम आदमी से क्या लेना-देना, मरते हैं तो मरने दो। डेंगू से लड़ने के लिये तैयारी की क्या जरूरत है जी जब होगा तो देख लेंगे। इस विचारधारा से उपर उठ कर अगर बरसात के मौसम से पहले इसके लिये कमर कस ली जाती तो शायद 34 जानें नही जाती। बरसात का मौसम अचानक तो आता नही और साल-दर-साल आता है। डेंगू की फितरत भी कुछ इसी तरह की है। बचाव के लिये जागरूकता अभियान का नही चलाना, अस्पतालों में समय पर पर्याप्त इंतजाम नही कर पाना और डेंगू की शुरूआत के बाद इसके फैलाव को रोकने के सही इंतजामात नही करना सरकारी तंत्र की विफलता के लक्षण हैं। तो फिर इससे लड़ने की तैयारियों का जिम्मा कौन उठायेगा? दिल्ली की जनता को जागना होगा और इस जिम्मेदारी को अपने हाथों में लेनी होगी। तब जाकर दिल्ली की जनता का कल्याण होगा।